राधे-राधे जी ! समस्त प्यारे प्रभु के प्यारे प्रेमियों को यथायोग्य सादर नमन ॥Smiley face

"सब द्वारं कूँ छाँड़ि कै , गह्यौ तिहारौ द्वार । हे वृषभानु की लाडिली , नैक मेरी ओर निहार ॥ " ऐसौ कहा अपराध भयौ प्यारी जू ! बलाय दिना है गए । काउ ऐ बतावे योग्य हु ना छोड़्यौ ॥ कौन कूँ बताऊँ ? कहा बताऊँ कैसे बता दउूँ ? कहा करूँ ? जब जब सुधि आवै या ब्रज की , तब सुधि हू की सुधि जाय । वेगि बुलावो हे मम स्वामिनी ॥ न कह्यौ जाय। … न रह्यौ जाय .... न सह्यौ जाय हे अलबेली सरकार ! कहूँ ऐसौ न होय प्यारी तेरे धाम में आयवे ते पूर्व ही तन में ते प्रान ही निकर जावैं और मन की मन में ही रह जावै ॥ अब तो बुला लो हे किशोरी जू ! हे प्राणाधार ! हे दयामयी ! हे करुणामयी ! हे कृपामयी ! हे बरसाने वारी ! हे सेवाकुंज-बिहारिन ! हे नित्य निकुंजेश्वरी ! हे रस-रासेश्वरी ! हे प्राणेश्वरी ! भले ही दर्शन मति दीजौ लाडिली पर महलन में तो बुलाय लै , अपने धाम तो तो बुलाय लै लाली । ऐसौ चों कर रही है प्यारी ? हे रसिकेश हु की रसदा ! तो बिन है ही कौन जो लाज राखै ? हे सार हू की सार ! हे सिद्धांत हू की सिद्धांत ! हे प्रानन हू की प्रान ! हे अनंत सौंदर्या ! हे ब्रज-विलासिनी ! कब तक प्रतीक्षा करवाय कै परीक्षा लेवैगी अशरण-शरण ! हे भगवान हू की भगवान ! हे ब्रजसार ! तो कूँ छाँड़ि कै यदि जीवन में काहू कूँ हू कबहुँ हू ह्रदय में स्थान दियौ होय तो हे प्रेम की अधिष्ठात्री ! तू मोकूं कबहुँ मत बुलइयो । हे महाभावगम्या ! कब अपनावोगी ? प्राण निकरवे ते पूर्व संकेत हू में बस एक बार … बस एक बार अपनाय ल्यो हे श्रुत्यबोध्या ! हे बुद्धि अगम्या ! ……… अब कहा बोलूँ हे ब्रजेश्वरी ? तो ते छिप्यौ ही कहा है ? सब तो मन की जानवे वारी है , अब तो मोपै शब्द हू नाय बचे हे जगद्धात्री ! तुमने अपना तो लियौ है बस धाम में बुलाय ल्यो प्यारी सरकार ॥ ……… निःशब्द ....... जय जय श्री राधे !

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Radhe Radhe Parbhu ji .....

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