Balshuk Gopesh Ji Mharaj

राधे-राधे जी ! समस्त प्यारे प्रभु के प्यारे प्रेमियों को यथायोग्य सादर नमन ॥

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JAI SHREE RADHE RAD...

(श्री वेद भगवान् का स्वरुप ) Smiley face

राधे-राधे जी ! श्री ह्रदय आराध्य प्यारे राधा-माधव युगल सरकार की कृपा-कटाक्ष मात्र से कुछ भगवत्प्रसादी शब्दों के माध्यम से आप सबके समक्ष है , गहन चिंतनीय विषय है अतः मनन अवश्य करें । "वेदोपनिषदां साराज्जाताभागवती कथा" से भगवदीय वाणी का (एकादश स्कन्ध / इक्कीसवां अध्याय / श्लोक संख्या ३५ से ४३ तक ) एक अंश :- वेदा ब्रह्मात्मविषयास्त्रिकाण्डविषया इमे | परोक्षवादा ऋषयः परोक्षं मम च प्रियं ||३५॥ शब्दब्रह्म सुदुर्बोधं प्राणेन्द्रियमनोमयं | अनन्तपारं...

"हमारी "प्रतीक्षा" ही प्यारे प्रभु की "परीक्षा" है ।Smiley face

"हमारी "प्रतीक्षा" ही प्यारे प्रभु की "परीक्षा" है ।      विरह ही प्रेम की जागृत गति है ।       संत श्री "हरेकृष्ण" जी का प्यार भाव :-   "लखते लखते ब्रजमंडल को , रटते रटते भए बरस अठारा ।  पर हाय अभी तक पूर्णतया , नही दीख पड़ा मनमोहन प्यारा ॥   अनुराग का यज्ञ समाप्त करून , इस देह की अंतिम आहुति द्वारा ।   नंदलाल के प्रेम में पागल हूँ , नहीं और किसी विपदा का मारा ॥ "      तथा मृत्यु...

राधे-राधे जी ! प्रसिद्द दोहे का शुद्ध रूप.....Smiley face

इस प्रसिद्द दोहे का अशुद्ध रूप सहज में ही बोल देते हैं .... "राधे तू बड़भागिनी , कौन तपस्या कीन्ह । तीन लोक तारन तरन , सो तेरे आधीन ॥ " इस दोहे में एक शब्द "बड़भागिनी" सर्वथा अनुचित व अशुद्ध है अतः हमें शुद्ध का ही उचित प्रचार करना चाहिए । अब पढ़िए .... "श्री राधे तू बड़ी "भांवरी" , कौन तपस्या कीन्ह । तीन लोक तारन तरन , सो तेरे आधीन ॥ " ……  (ब्रज के एक रसिक का भाव )                        ...

राधे-राधे जी ! समस्त प्यारे प्रभु के प्यारे प्रेमियों को यथायोग्य सादर नमन ॥Smiley face

"सब द्वारं कूँ छाँड़ि कै , गह्यौ तिहारौ द्वार । हे वृषभानु की लाडिली , नैक मेरी ओर निहार ॥ " ऐसौ कहा अपराध भयौ प्यारी जू ! बलाय दिना है गए । काउ ऐ बतावे योग्य हु ना छोड़्यौ ॥ कौन कूँ बताऊँ ? कहा बताऊँ कैसे बता दउूँ ? कहा करूँ ? जब जब सुधि आवै या ब्रज की , तब सुधि हू की सुधि जाय । वेगि बुलावो हे मम स्वामिनी ॥ न कह्यौ जाय। … न रह्यौ जाय .... न सह्यौ जाय हे अलबेली सरकार ! कहूँ ऐसौ न होय प्यारी तेरे धाम में आयवे ते पूर्व ही तन में ते प्रान ही निकर जावैं और मन की...

 

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